गर्भावस्था में मां की आन्तरिक
इच्छाओ को पूर्ण करने व शिशु के आगमन की खुशियां मनाने के लिये सादो का कार्यक्रम किया
जाता है। यह कार्यक्रम गर्भकाल के सातवें या नवमे महिने में किया जाता है। यह कार्यक्रम
ससुराल व पीहर वालो द्वारा मिल कर मनाया जाता है। सादो के कार्यक्रम में गर्भवती स्त्री
को हरे रंग की साड़ी व चूडि़या पहनाकर तथा फूलो से सजाकर तैयार करते है। फिर फूलो से
सजे झूले में बिठाकर उसकी गोद भरते है। जिसके परिवार में झूला नहीं होता है वह सोफे
को फूलो से सजाकर करे।
गोद भरार्इ के समय पहले कुमकुम
चावल लगाकर फूलो की माला पहनाते है। फिर नारियल मेवा रूपये (जितनी आपकी इच्छा हो) देते
है। इस अवसर पर जितने भी रिश्तेदार होते है, वह भी गोद भरते हैं। समाज के लोग भी शामिल
होते है। गाना बजाना होता है। इच्छानुसार नाश्ता या भोजन करवाते हैं।
गर्भवती स्त्री को उसकी मनपसंद
मिठाइयां, फ्रूट, खटार्इ या जो उसे पसंद हो खिलाना चाहिए। ससुराल वाले या पीहर वाले
इच्छानुसार गर्भवती व होने वाले पिता को उपहार स्वरूप कुछ देवें।
कार्यक्रम के नियमित घेवर बनवाए
जाते है। व सभी रिश्तेदारों व समाज में बटवाते हैं, आपके घरो में जैसा रिवाज को वैसा
करें।
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