गर्भ के लक्षण
स्त्री को गर्भ ठहरने का एहसास माहवारी न आने से होता है, यह प्रथम
लक्षण है। किसी किसी को बिना माहवारी आये गर्भ ठहर जाता है| माहवारी मे कुछ भी असामान्य
हो तब डाक्टर को अपनी हिस्ट्री बतावे और सलाह लें|
यूरिन प्रेगनेंसी किट (केमिस्ट की दुकान मे मिलता है) से भी टेस्ट
कर सकते हैं| आपको नहीं जमे तो, एक बार डाक्टर से मिलकर, पेथोलाजी में पेशाब की जांच
करवाये।
दूसरा लक्षण: जी मिचलानां,
उल्टी होना, जी घबराना आदि गर्भावस्था के दूसरे लक्षण है।
तीसरा लक्षण- खाना नहीं भाना,
खाने की खुशबु / गंध सहन नहीं होना। ये परेशानी किसी को 3 महिने तक किसी को नौ महिने
तक रहती है, यह सब नार्मल बात है, घबराना नहीं चाहिये।
चौथा लक्षण- स्तनों में भारीपन
महससू होना, स्तनों में कसाव आना, दर्द जैसा फड़कन महसूस होना, भारीपन लगना, स्तनों
पर नसो का उभार आने लगना, निप्पल के आसपास का रंग और गहरा होना।
पांचवा लक्षण - बार बार पेशाब
आने की शंका होना, जब से गर्भ ठहरता है तो जन्म होने तक, रात्री में तरल पदार्थ का
सेवन कम करें।
गर्भ ठहरने के बाद के कुछ और
लक्षण और समाधान निम्न हैं:
कब्ज की शिकायत: गर्भवस्था
में अधिकतर महिलाओ को कब्ज की शिकायत रहती है, कब्ज से बचने के लिए दिन में दूध, पानी ,शरबत पीएं , कम से कम 6 गिलास पानी पीएं, संतरा, नीबू, रस, ज्यूस इत्यादि
जरूर लेवें, रेशेदार फल सब्जीयां खाएं और सुबह शाम घूमे।
पैरो की ऐंठन: गर्भावस्था में
पेरो में ऐठन होना भी आम समस्या है। इसके लिये भरपूर मात्रा में कैल्सियम ले। इसके
स्त्रोत है- पनीर, लस्सी, दही, छाछ इत्यादि।
मुह का स्वाद बदलना: गर्भावस्था
में महिलाओं को खाने से अरूची होती है, अपने से बनाकर नहीं खा पाना, दूसरों के घर का
खाना पसंद आना। खाना नहीं बना पा रही
हो तो किसी से बनवा के खा ले, ज्यादा
भूके न रहे, नहीं तो कमजोरी आ जाएगी।
चाक, मिटटी, राखी, चूना जैसी
चीजे खाने की इच्छा: ऐसी चीजे कभी न खाए, इससे
आपके शिशु को तकलीफ हो सकती है।
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