अजन्मी पुत्री की करूणा भरी पुकार
“जीवन दान दो माता मुझे जीवन
दान दो माता, आप मेरी कोख में ही विदार्इ क्यों कर रही हो, सोचो माता, आप जीवन में
हर तरह का दान धर्म करती होगी, पचेन्द्रीय जीव (मुझे) क्यों अनदेखा करती हो। मुझे भी
जीवन दान दो । मैं तो आपके कलेजे का तुकड़ा हूँ, आप तो जानती हो, सब दानो में अभयदान
बड़ा होता है, हम अहिंसा को परमो धर्म मानते हैं।
नारी ही नारी की रक्षा कर सकती
है और दुश्मन भी बन सकती है। आप अपनी पुत्री की पुकार सुनो, बेटी को बुरी नजर से मत
देखो, आप अगर ऐसा पाप करोगी तो दुनियां आपको खूनी माता बोलेगी, क्या आपको शोभा देगा?
क्या आपका मन आप दोनों माता पिता को ऐसा करने की इजाजत देता है?
आप में और जेल में बंद होने
वाले हत्यारे में क्या फर्क है?
अगर
आपके माता पिता आपके साथ ऐसा व्यवहार करते तो क्या आप दुनियां देख पाती, आपके जैसे
मुझे भी दुनिया देखने दो | आप गर्भ में ही मेरी विदार्इ करके कैसे सुख से रहोगी, जन्म
के बाद आप मुझे अच्छी शिक्षा देना, ताकि मैं खुद के पाव पर खड़ी हो सकूं किसी पर बोझ
न बनू।
अगर
दुनियां में सब इन्सान ऐसा ही सोचेंगे और एबॉर्शन कराने लगेंगे, तो लड़को के अनुपात में, लड़कियो की संख्या कम होने
लगेगी, वंश बढ़ाने वाली बहुये कहां से आवेगी, मां अपने लाडले के लिए, सुन्दर बहु के
सपने देखते रह जावेगी| दुनिया में सब ऐसा सोचेगी माता तो कैसे चलेगा, आप माता है, भले ही कोई बोले की गर्भ खत्म करो, पर आप सोचो, हिम्मत करो और मुझे जन्म दो, स्त्री
जाती का गौरव बढावो|
लड़कीयां
लक्ष्मी का रूप होती है, उनका माता पिता के प्रति प्रेम ज्यादा रहता है| मुझे आपके
आंगन में आने का गौरव प्राप्त करने दो,
आप
अपने हृदय पर हाथ रखकर सोचो माता सोचो, मुझे बचावो!!!”
“हमने बेटीयों को इतना दर्द दिया
प्रभु के उपहार
को ठुकरा दिया
भेद भाव मत कर
इन्सान
बेटा बेटी एक
समान
बदलो ये अपनी
सोच, बेटीयां नहीं है बोझ
माता पिता का
मान है बेटीयां
अपने घर की शान
है बेटीयां
बेटीयों से ही
घर संसार
सभी किजिए उनसे
प्यार”
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