सिजेरियन प्रसव करने के कर्इ
कारण होते है। जैसे शिशु की पोजीशन आडी तिरछी हो, गले में नाल लिपटी हो, बच्चेदानी
दो हो आदि जिनके कारण बच्चे होने में तकलीफ हो सकती है, तो आपरेशन द्वारा शिशु को बाहर
निकाला जाता है। कभी-कभी महिलाये अधिक दर्द सहन नहीं कर सकती, इस कारण भी आपरेशन करवा
लेती है। खतरा होने पर माँ और शिशु की सुरक्षा के लिये भी सिजेरियन डिलेवरी कर देते
हैं। सिजेरियन प्रसव में गर्भ की सतह को चीरा (नाभि के पास) लगाकर शिशु को बाहर निकाला
जाता है। फिर वापस टांके लगा दिये जाते है। 7-8 दिन बाद टांके काट दिये जाते है। आजकल
गलने वाले टांके लगाते है, जिसे निकालने की जरूरत नहीं पड़ती है। कभी-कभी टांके पक
जाते है। दर्द ज्यादा हो या पस बढ़ जाये तो डाक्टर को दिखाएँ, नहाते वक्त टांके में
पानी से बचाव करें, प्लासिटक की थैली बांधे
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