शिशु गर्भ में रहे तब रखने वाली सावधानियां
गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीने अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।
शास्त्रो एवं पुराणो के अनुसार, गर्भवती महिलाओ को अपने स्वस्थ्य जीवन के लिये एवं
होने वाली संतान की पुष्टता, स्वस्थ्ता, सुन्दरता, संस्कारवान एवं दीर्घायु हेतु गर्भावस्था
में निम्न लिखित बातों का ध्यान देना चाहिये:-
· गर्भवती को हमेशा शोक, दुख,
रंज एवं क्रोध से दूर रहकर प्रसन्नचित्त रहना चाहिए।
· मन में कभी कलुषित विचार न
आने दे ,न किसी की निंदा करें न सुने, किसी के साथ र्इष्यालु व्यवहार भी न करे।
· सड़े गले गंदे पदार्थ एवं रात
का बचा बासी भोजन न खाये, शुद्ध सात्विक एवं भूख से कम भोजन करें।
· किसी भी खाने वाली वस्तु को
चोरी-चोरी खाने की चेष्टा न करें। न किसी वस्तु को चुराने का भाव मन में लाये हमेशा,
सात्विक, धार्मिक एवं परोपकारी भाव रखे क्योंकि इसका प्रभाव गर्भस्त शिशु पर पड़ता
है। जैसे विचार या भाव गर्भवती के रहेंगे वैसे ही गर्भ की प्रकृति निर्मित होगी।
· भांग, मदिरा, धूम्रपान एवं
अन्य नशीले पदार्थ का सेवन न करें।
· अश्लील गंदा साहित्य न पढ़े
न अश्लील चलचित्र देखें, अपने शयन कक्ष में भददे गन्दे चित्र न लगाये, न उनका अवलोकन करें। भगवान के, संत महापुरूषों के तथा वीर सपूतों
के सुन्दर चित्र लगाये। अच्छे शिशुओं के चित्र लगाये।
· दिन में अधिक न सोये, रात में
अधिक देर तक जागरण न करें।
· हमेशा शरीर को शुद्ध स्वच्छ
बनाये रखने का प्रयास करें। गंदी हवा एवं अशुद्ध वातावरण से दूर रहे।
· सहवास से सर्वथा दूर रहे। इससे
गर्भपात होने का खतरा रहता है। अथवा शिशु अल्पायु या विकृत अंग वाला हो सकता है, संयम
नियम से रहे।
· अधिक तेजी से हंसना, तेजी से
चिल्लाना, अधिक बोलना, बार-बार चिढ़ना हमेशा क्रोध युक्त चेहरा बनाये रखना एवं अपशब्दो
का बार-बार प्रयोग करना गर्भवती के लिये वर्जित है।
· अधिक रोना, शोक करना, अधिक
चिंता करना भी उचित नहीं है, इसका गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव पड़ता है।
· गर्भवती महिला को कोयले से
या नाखून से पृथ्वी पर नहीं लिखना चाहिये न कोर्इ आकृति बनानी चाहिये।
· गर्भावस्था में महिलाओ को बार-बार
सीढि़या उतरना नहीं चाहिये न भारी वजन उठाना चाहिये तथा हाथी घोड़ा और ऊट की सवारी करना भी वर्जित है।
· गर्भवती महिला को नाव में बैठकर
नदी पार करना या जलाशय की सैर नहीं करनी चाहिए ।
· अधिक गर्म या अधिक चटपटे मसालेदार
पदार्थ नहीं खाना चाहिये। कोर्इ भी चीज अति न खावे।
· गर्भवती को पपीता, अनानास,
चींकू नहीं खाना चाहिये इससे गर्भक्षय होने का भय रहता है।
· गर्भवती को उकड़ू बैठकर काम
नहीं करना चाहिये तथा सोकर उठे तो करवट बदल कर उठे सीधे से नहीं उठे।
· देर तक आग के पास बैठना या
अधिक ठंडे स्थान पर बैठकर कार्य करना झाड़ू, सूप, ऊखल, शख या कंडे पर नहीं बैठना चाहिए
।
· गर्भवती को हमेशा उत्तम साहित्य
का अध्ययन करना चाहिये एवं र्इश्वर भजन करना चाहिये।
· गर्भवती के लिये अधिक उपवास
करना, गरिष्ट भोजन करना, अविष्ट पदार्थ का सेवन करना वर्जित है। तथा गोंद और गोंद से
बनी चीजे कम से कम नो महीने तक नहीं खाये।
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