Sunday, January 25, 2015

आठवां महिना



आठवें महिने में शिशु खटटा-मीठा महसूस कर सकता है। दर्द प्रकाश और आवाज के प्रति प्रतिक्रिया भी व्यक्त कर सकता है। आठवें महिने तक शिशु लगभग 40 से 45 सी.एम. लंबा तथा उसका वजन लगभग 2 से 2.3 कि.ग्रा. तक हो जाता है। अंतिम तिमाही में जाकर शिशु की आंखे खुलती हैं। जैसे-जैसे शिशु का वजन बढ़ता है, व माता के पेट में घूम नहीं पाता, उसे स्थान कम पड़ता है। इस समय शिशु माता की स्तन की हडिडयों तक पहुंच जाता है। जिससे माता को उसकी लात लगती है व पेट पर उसका उबार दिखता  है।
आठवें महिने में नदी नाले पार नहीं किया जाता है अगर पीहर भेजना हो तो सादो का कार्यक्रम करके या सातवां महिना खत्म होने से पहले या नवमे महीने में भेजे, नवमा महिना लगते ही 2-3 दिन के भीतर ही भेजे। क्योंकि किसी किसी को डिलेवरी नवमा लगते ही 4-5 दिनो के बाद ही हो जाती है। रिस्क नहीं लेना चाहिये।
नवमें महिने में शिशु की लंबार्इ करीब 45-50 से.मी. तक हो जाती है। और वजन लगभग 2½ - 3 कि.ग्रा. हो जाता है। नवमा लगते ही 4-5 दिन बाद काला जीरा दिया जाता है। इससे शिशु के जन्म के बाद पीलिया नहीं होता है। 1¼ चम्मच जीरा पानी के साथ सुबह 15 दिन तक ले। फिर बंद कर दे, काला जीरा बहुत कड़वा होता है। उसको लेने के बाद कुछ मीठा खा ले।
नवमा महिना लगते ही सिरका दिया जाता है। इसे बनाने के लिये- एक छोटा चम्मत घी, 1 लौंग, दूध 1 कप या जितना पीना हो, 1 खारक, शक्कर स्वादानुसार, इलाइची लें। कड़ाई में चुटकी भर घी गरम करे उसमें लौंग डालकर दूध व सभी समान डालकर उबाल लें, फिर इसे पिये । इसे नौवे महीने से शिशु के जन्म तक पिये।
जैसे-जैसे शिशु बढ़ता है। वैसे-वैसे माता को वजन के कारण तकलीफ होती है। जैसे पैरो में दर्द होना, हाथ में झुन झुन होना, पाव में ऐंठन, हाथ पाव में सूजन आदि। ज्यादा देर खड़े-खड़े काम न करे। थकान महसूस हो तो लेट जाये। हाथों में झुनझुनाहट हो तो मुटठी बंद खोले ऐसा बार बार करे। पाव में सूजन हो तो गरम पानी में नमक डालकर पांव का सेक करें पाव में ऐठन आवे तो धीरे धीरे मालिश करें सोते समय पाव के नीचे तकिया लगाकर सोये, पाव उपर होवे ऐसा रखे तकिये। ज्यादा शरीर दुखे, थकान लगे तो 1 घंटे में लेट जाना चाहिए फिर अपने काम में लग जाना चाहिये। ज्यादा सोना भी काम का नहीं, ज्यादा आराम से परेशानी होगी, चलना फिरना जरूरी है।

सिर भारी या चक्कर आवे तो इलेक्ट्रोल पाउडर, संतरा मौसम्मी के रस, नींबू का शरबत नमक शक्कर मिलाकर ले सकते है। 2-4 बार लेवे फिर छोड़ दें फिर लेवे तो चक्कर कम होगा। बल्ड प्रेशर कम होवे तो रोज सुबह किसमिस भिगोकर या दूध में उबाल कर 20 दाने लेवे। अनार के रस में ग्लूकोस डालकर ले सकते हैं, मुनक्का भी ले सकते हैं।

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