एक बड़ी पीली हरड़ किसी पंसारी
से खरीद लें और गीले कपड़े से पौंछ कर साफ करके सावधानीपूर्वक रखलें, साफ सिल या पत्थर
पर एक दो चम्मच पानी के साथ इस हरड के पांच सात घिसड़के इस प्रकार दें कि हरड का छिलका
ही घिसे गुठली नहीं। गुठली घिसने लगे तब हरड को घुमा फिराकर दूसरी जगह से घिसने लग
जाये। घिसने के बाद हरड को पानी से धोकर किसी डब्बी में सुरक्षित रख लेना चाहिये। ऐसा
हरड का घासा पानी नित्य प्रात: शिशु को नित्य खाली पेट एक या दो चम्मच की मात्रा में
दे। उपर से एक चम्मच सादा पानी पिला दें। यदि बच्चे को सर्दी जुकाम हो तो कटोरी तनिक
गर्म करके उसमें हरड का पानी डाल दें जिससे कि पानी का ठंडापन समाप्त होकर वह कोसा
हो जाये। इसके सेवन से शिशु हष्ट पुष्ट व निरोग रहता है। हरड को धात्री अर्थात माँ
के समान माना गया है। शिशुओं की बहुत सारी समस्याओं से छुटकारा मिल जायेगा और उनकी
हडिडयां, पुष्ट होगी एवं विकास विकार रहित होगा ।
विशेष:
· यह हरड का घासा जन्म के दूसरे
माह से कम से कम एक साल तक अवश्य देना चाहिये इससे शिशु की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती
है।
· यदि सर्दी के कारण शिशु को
हरी-पीली दस्ते आ रही हो तो हरड घिसने के बाद उसी पानी में जायफल के दो तीन घिसड़के
लगा देने चाहिये। इससे दस्त बन्द हो जायेगी और सर्दी दूर हो जायेगी।
· यदि पेट में आफरा या पेट दर्द
हो तो हरड घिसते समय चार दाने अजवाइन के भी उसके साथ घिस लें।
· यदि बच्चा रो-रोकर पाखाना करता
है तो हरड के पानी के सेवन से वह बिना वेदना के पाखाना करने लग जाता है।
· बड़ों की कब्ज में- इसी प्रकार
हरड का छिलका पानी में रगडकर हरड का घासा बना लें। इसे कुछ ज्यादा मात्रा में नित्य
प्रात: खाली पेट पीने से कुछ दिनों में पुरानी कब्ज में भी लाभ होता है।
छ महिने से 12 महिने के आयु
वाले छोटे बच्चे को ठंडे मौसम या ठंडी हवा के कारण सर्दी लग जाए, छाती में कफ बोले,
छाती में दर्द हो या पसली चले तो आधा कप पानी में 10-12 दाने अजवाइन के डालकर उबालें।
आधा रहने पर इसे कपड़े से छानकर थोड़ा-थोड़ा कुनकुना काढा पीने जैसा शीशु को दिन में
दो बार अथवा केवल रात में सोने से पहले पिलाये, लाभ मिलेगा।
विशेष - साथ ही यह अजवाइन का
काढा यकृत, तिल्ली, हिचकी, बलगम , भिचली, खटटी डकारें आना, पेट में गुडगुडाहट, मूत्र-विकार
एवं पथरी रोगों का विनाशक है। इससे मौसम बदलते ही होने वाली जुकाम की शिकायत भी दूर
हो जाती है ध्यान रहे जिन्हें मूत्र कठिनार्इ से उतरता हो, वे इस काढ़े का सेवन न करें।
विकल्प - लौंग के इस्तेमाल
से शरीर के अन्दर की वायू नलियों का संकोच तथा विकास और उससे होने वाली पीड़ा नष्ट
होती है, मुंह में लौंग (सेकी हुर्इ) रखकर चूसने से खांसी का दौरा कम हो जाता है। कफ
आराम से निकलता है खांसी, दमा, श्वास रोगों में लौंग के सेवन से लाभ होता है।
बच्चों की पसली चलने पर - दूध
में 5 तुलसी की पत्तिया और एक लौंग उबालकर पिलाने से बच्चों का पसली चलना बन्द होता
है।
· आधे नीबू का रस और दो चम्मच
शहद मिलाकर चाटने से तेज खांसी श्वास, जुकाम में लाभ होता है।
· नीबू में चीनी, काला नमक, काली
मिर्च, भरकर गरम करके चूसने से लाभ होता है खांसी का तेज दौरा ठीक हो जाता है।
· पुदीना के 10 पत्ते, 4 काली
मिर्च पीसी हुर्इ, एक गिलास पानी स्वाद के अनुसार नमक मिलाकर उबालें। उबलते हुये आधा
पानी शेष रहने पर छानकर उसमें आधा नीबू निचोड़ कर सुबह शाम दो बार पीयें। खांसी तथा
फीवर ज्वर में लाभ होता है।
· एक नीबू को पानी में उबालकर
एक कप में निचोडकर दो चम्मच शहद डालकर मिला लें। इस प्रकार तैयार करके ऐसी दो मात्रा
सुबह शाम ले, खांसी में लाभ होगा सीने में जमा हुआ बलगम पिघलकर बाहर आ जाता है।
· खांसी के रोगी को सितोफलादि
आयुर्वेदिक चूर्ण से अवश्य लाभ होता है। इसे घर पर भी बनाया जा सकता है। इसके लिये
5 ग्राम छोटी पीपल ,10 ग्राम छोटी इलाइची ,20
ग्राम दालचीनी,30 ग्राम वंशलोचन,40 ग्राम मिश्री सारी औषधियों का महिन चूर्ण बनाकर
शीशी में भर लें। चूर्ण बनाते समय यह ध्यान दें कि वंशलोचन बहुत महीन पिसा जाये। सारी
औषधियां खूब महीन पीसा जाये। रात्रि में सोते
समय और प्रात: खाली पेट शहद के साथ एक चम्मच चूर्ण चटाकर सोये। रात्रि में चूर्ण लेने
के बाद अगर पानी पीना हो तो गर्म करके पिए। दो दिन में ही खांसी से छुटकारा मिल जायेगा।
र्इसबगोल की भूसी 5 से 10 ग्राम,
एक या दो चम्मच दही में घोलकर सुबह शाम खिलाने से दस्त बन्द होते है। र्इसब गोल की
भूसी मल को गाढा करती है और आतों का कष्ट कम करती है। र्इसबगोल की भूसी का लचीलापन
दूर गुठा मरोड और पेचिंश रोगों को दर करने में सहायक होता है।
विशेष:
· रोगी को पूर्ण विश्राम करना
चाहिये।
· रोगी को 2 दिन कोर्इ ठोस वस्तु
नहीं दी जानी चाहिये । छाछ या मठा दिन में 2-3 बार दिया जा सकता है। यदि रोगी से बिना
खाना खाये न रहा जाये तो चावल दही देना चाहिये ज्वर होने पर चावल दही न दें। छिलके
वाली मूंग की दाल व चावल की खिचड़ी दी जा सकती है।
उपचार:
· खाना खाने के बाद एक गिलास छाछ में भुना हुआ जीरा और काला नमक
मिलाकर पिये दस्त बंद होंगे।
· दही में भूना हुआ जीरा मिलाकर
प्रयोग करने तथा भुनी हुर्इ सौफ चबाकर खाने से पाचन क्रिया ठीक होती है।
· आम की गुठली की गिरी को पानी
अथवा दही के पानी में खूब बारीक पीस कर नाभि पर गाढ़ा-गाढ़ा लेप करने से सब प्रकार
के दस्त बन्द हो जाते हैं।
· नाभि के पास अदरक का रस लगाने
से सब तरह के दस्तों में लाभ होता है।
· कच्चे दूध में जायफल घीसकर
देने से दस्त में आराम आता है।
· दस्त लगने पर बगैर दूध की चाय
में थोड़ी शक्कर और घी 2-3 बूद डालकर दें आराम आता है। कॉफ़ी भी बगैर दूध की बनाकर दे
सकते है। छोटे बच्चों को 1-2 टेबलस्पून दे ज्यादा न दे।
· पतले दस्त में आधा कप उबलता
हुआ गर्म पानी लें, उसमें एक चम्मच अदरक का रस मिलाये और जितना गरम पी सके उतना गर्म
पी लें। इस तरह 1-1 घंटे से एक-एक खुराक लेते रहने से पानी की तरह हो रहे पतले दस्त
बन्द हो जाते हैं।
· बेलगिरी 10 ग्राम ,सूखा धनिया
10 ग्राम, मिश्री 20 ग्राम लेकर पीस ले। तीनों चीजें मिलाकर 5 ग्राम चूर्ण ताजा पानी
में दिन में तीन बार खिलाने पर बहुत शीघ्र लाभ होगा।
· दो पके केले 125 ग्राम दही
के साथ कुछ दिन खाने से आंतों की खराबी तथा दस्त में आराम आता है।
· बच्चों को कब्ज हो तो बंगला
पान लेकर घी लगाये। फिर उसे हल्का गुनगुना गरम करके पेट में बांधे। उससे बच्चे को लेटरीन
लग जायेगी। यदि न लगे तो दूसरे दिन फिर बांधे।
· 2 छोटी हरड पानी में घीस कर
2 चम्मच दें। दस्त लग जायेगी
· पेट दर्द में, पेट में आफरा
फूलना होने पर गरम पानी में हिंग घोले, पेट पर सूठी के चारो तरफ लगावे।
• बच्चों के पेट में कीडे हो तो हिंग मूंग की दाल जितनी लेकर गुड में लपेट कर फिर बच्चों को दें।
खाली हिंग न दें। गरम पानी के साथ रात्रि में दे।
दातों में जहां दर्द हो तो
वहां हींग का पानी लगायें। दर्द में आराम आता है।
हींग की डली को रूर्इ में लपेट
कर जलाये। निकाल के फिर माहवारी ठीक से न आवे या एम.सी. में पेट दर्द होवे तो बारीक
पीस नमक के साथ लें या डिलेवरी में अजमा बनाते है वैसा बनाकर लें।
No comments:
Post a Comment